mahangayee daayan khaye jaat hai
.कई वर्षो से जमा हो गए कुछ पुराने कागज़ात
साफ़ कर रहे थे हम कल दोपहर
मिला एक पुराना बिल और हमपर ढा गया कहर
चावल थे १२० रुपये के दस किलो
और चाय के आगे लिखा था साढ़े बारह रुपये का एक पाव (२५० ग्राम)
याद आ गया सडनली suddenly वो दिन भी
जब इसी बिल को चुकाते हम रो रहे थे ज़ार ज़ार
काश के हमें पता होता आज का हाल
तब ले लिया होता हमने बीस सालो के लिए सारा माल
फिर भी शुक्र है खुदा का
रहमत की है हमपे
डाईबेटिस है ब्लड प्रेशर भी हाई है
और दिल पर भी पड़ चुके है कई दरार
बेटी है डॉक्टर सो फीस के भी बच जाते है पैसे
न शक्कर खरीदना है
न तेल
और न ही फल और न प्याज
बस दो वक़्त की रोटी है नसीब में
थोड़े से नमक के साथ
और ये भी है नसीहत की
जितना हो सके पैदल चलो
यहाँ भी ईश्वर की ही कृपा है समझे
वरना पेट्रोल और डीसल का भी चौगुना हो चूका है दाम
बचपन में पढ़ा था
God help's them who help themselves
और अब दिख रहा है की हम जैसे ही है इस कहावत के जीवंत examples
सलाद फल और मिठाई के शौकीनों की हालत पर खाते है हम तरस
और सोचते है हस्ते हुए ये राज़ की बात
हमने ये मज़े कर लिए जब सस्ते का ज़माना था
लेकिन उस वक्त भी बहुत पॉपुलर एक गाना था
जो कुछ इस तरह कहता था की
एक तो उन्हें खुदा की खुदाई मार गयी
दुसरे हमेशा की तन्हाई मार गयी
और बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गयी
isiliye इसीलिए
man will never be satisfied
always cribbing and cursing happens to be his birth right
वह तब भी रोता था और अब भी रोता है
क्या करे बेचारा
रोते हुए ही तो पैदा होता है
No comments:
Post a Comment