कुछ रंग प्यार के ऐसे भी
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भूल जाना मुश्किल नहीं है
भुला देने को दिल नहीं करता
भूलना मुश्किल नहीं है
भुल जाने को दिलनही करता
ये दर्द ऐसा है कि
मुस्कुराने को दिल है करता
नासूर बना के ही सही
आगोश में ले आ ए है इसको
ये ज़ख्म ऐसा है कि
मरहम लगाने को दिल नहीं करता
चिलचिलाती धूप की ठंडक गुम हो जाये न कही
इस डर से छाओं में सुस्ताने से दिल है डरता
भूल जाना मुश्किल नहीं है
भूल जाने को दिल नहीं करता
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हर रात की सुबह होती है ये जान गए है अब
तूफ़ान में भी दिया जलाने मंदिर का रुख किया
पहुंचे जो मंदिर हम तो हैरान हो गए
आसान पे बैठा था मेरा ही तो पिया
पूछा जो आशिक़ो से क्यों पूजते हो मेरे पिया को तुम
हर शक़्स कह उठा मेरा है वो मेरा है वो मेरा है वो सनम
पूछा ,बताओ, हमने है नाक नक़्श क्या?
खाका हर इक ने खींचा दुसरे से कुछ जुदा
अंदाज़े सूफियाना आया समझ हमे
भक्ति क्या होती है ये भी समझ लिया
दिखता वही है जो चाह्ता है दिल
नज़रे बजाती है दिल नादान का कहा
दोनों रचनाओं की अलग अलग गहराइयाँ, अलग अलग पीड़ाएं हैं.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद उमाशंकर जी, आभार
DeleteDono rang pyaar ke behtareen hain! Ishq ke alag aayaam aur alag mukaam darshaatey hain:) Bahut khoob, Rajni:)
ReplyDeleteहौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया अमित जी
DeleteWow both are so beautiful :)
ReplyDeleteThanks Archana -----welcome to my space --- so glad you liked it ---thanks for the comments :)
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