Thursday 8 November 2018



कुछ शब्द बस यू ही दिल से


बहुत दिनों बाद आज कुछ फुर्सत के पल मिले है
वैसे तो मौका भी नहीं है , दस्तूर भी नहीं
लेकिन दिल ने कब मौका या दस्तूर देखा है
उस् ने   कुछ जज़्बात महसूस किये
और कहा
अब लिख दो वरना  भूल जाओगी
और वो अहसास उभर आये है कागज़ पर.
याद आ  गयी वो पहली दिवाली तुम्हारे साथ
जो छत पर मनाई थी हमने
मैंने और तुमने
सब की नज़रो के सामने
सब की नज़रो से दूर
वो जज़्बात जो महसूस किया था हमने
वो  ख़याल जो बयान किया था हमारी नज़रो ने
कही किसी और ने पढ़ तो नहीं लिया था उन्हें ?
क्या पता , कौन जाने
मुझे तो मतलब सिर्फ इससे है कि
तुमने भी समझ लिया  था और मैंने भी
है न?

रजनी सिन्हा ( सर्वाधिकार सुरक्षित )





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