A poem written after the 26/11 episode but relevent again today
डर इक गुनाह है
जिसकी सज़ा है शिक़स्त
डर इक खता है
खुदा की निगाह में
क्या यकीं नहीं था आपको
उसके प्यार पर
क्या थामी नहीं थी उंगलिया आपकी
उसने
कभी कड़ी धुप में ???
डर कर आप बन गए है खतावार क्यों
क्या कह दिया है आपसे उन मौका परस्तो ने ?
क़त्ल कर रहे है आप
अपने ही खून का
था भाई आपका भी एक
उन बदनसीबो में
खोया है जिसने उस दिन अपने किसी करीब को
क्या गुनाह था
उस नन्हे से मासूम बच्चे का
खो दिया जिसने साया अपने सरपरस्तो का ?
क्या ?? आह !!लगेगी नहीं उसकी आपको
क्या ये नहीं पूछते आप
अपने उन आकाओं से
जो कर रहे है आपको गुमराह
ये कह कर के कि
जिहाद है ये
ऐसा नहीं है
खून हो जैसे हमारा पानी
अब हो चूका है खाफी खिलवाड़ आपका
करवटे बदल रहा है
हर दिल हिंदुस्तानी
कही ऐसा न हो
क़ैद हो जायें आप अपने ही जाल में
तारीक़ है गवाह
शिक़स्त पाई है हर बार आप ने
बहुत हो चूका
दे दिया आपको खेलने का मौका
सोचते है आ जाये हम भी मैदाने जंग में
हम तो नहीं करते छुप छुप के कभी वार
बस देर है थोड़ी करना है इक ऐलान
कह दीजिये माओ से ,बहनों से , बीबियो से बच्चो से
रोक ले वो तबाही से अपने रह नुमाओ को
आ जायेंगे जब हम तो
मच जायेगा कहर
वो रात अँधेरी होगी
देखेगी न फिर सहर
डर इक गुनाह है
जिसकी सज़ा है शिक़स्त
डर इक खता है
खुदा की निगाह में
क्या यकीं नहीं था आपको
उसके प्यार पर
क्या थामी नहीं थी उंगलिया आपकी
उसने
कभी कड़ी धुप में ???
डर कर आप बन गए है खतावार क्यों
क्या कह दिया है आपसे उन मौका परस्तो ने ?
क़त्ल कर रहे है आप
अपने ही खून का
था भाई आपका भी एक
उन बदनसीबो में
खोया है जिसने उस दिन अपने किसी करीब को
क्या गुनाह था
उस नन्हे से मासूम बच्चे का
खो दिया जिसने साया अपने सरपरस्तो का ?
क्या ?? आह !!लगेगी नहीं उसकी आपको
क्या ये नहीं पूछते आप
अपने उन आकाओं से
जो कर रहे है आपको गुमराह
ये कह कर के कि
जिहाद है ये
ऐसा नहीं है
खून हो जैसे हमारा पानी
अब हो चूका है खाफी खिलवाड़ आपका
करवटे बदल रहा है
हर दिल हिंदुस्तानी
कही ऐसा न हो
क़ैद हो जायें आप अपने ही जाल में
तारीक़ है गवाह
शिक़स्त पाई है हर बार आप ने
बहुत हो चूका
दे दिया आपको खेलने का मौका
सोचते है आ जाये हम भी मैदाने जंग में
हम तो नहीं करते छुप छुप के कभी वार
बस देर है थोड़ी करना है इक ऐलान
कह दीजिये माओ से ,बहनों से , बीबियो से बच्चो से
रोक ले वो तबाही से अपने रह नुमाओ को
आ जायेंगे जब हम तो
मच जायेगा कहर
वो रात अँधेरी होगी
देखेगी न फिर सहर
Darr ek gunah hai
jiski sazaa hai 'shiqast'
Darr ek khataa hai
Khuda ki nigaah mein
Kya yakeen nahi thhaa aapko
USKE pyar par ??
Kya thhami nahi thhi ungliya aapki
USNE
kabhi kadi Dhoop mein???
Darr kar aap ban gaye hai
Khataawaar kyouu??
Kya kah diya hai aapse
un mauqa--paraston ney ?
Qatl kar rahe hai aap
apne hi khoon ka.
thha bhai aapka bhi ek
un badnaseebo mein
khoya hai jisne us din
apne kisi kareeb ko
Kya gunah thhaa us
nanhe se masoom bachche ka
kho diya jisne saya
apne sarparaston ka?
kya ?? AAH
lagegi nahi uski aapko??
kya yeh nahi poochhte aap
apne un aakaaon sey ?
jo kar rahe hai aapko gumraah
kah kar ki JEHAD hai yeh?
aisa nahi hai
khoon ho jaise humara pani
ab ho chuka kafi
hai khilwaad aapka
karwatein badal rahaa hai
har dil hindustani
kahien aisa na ho
qaid ho jaayein
aap apne hi jaal mein.
Tareekh hai gawah
Shiqast har baar payee hai aapne.
Bahut ho chuka !! de diya aapko
khelne ka mauka---
sochte hain aa jayein hum bhi
maidane jung mein .
Humtoh nahi karte
chhup chhup ke kabhi waar
bas der hai thodi
karna hai ik Ailaan
kah dijiye
biwiyon se; ,bahno se,;
maao se-- bachcho se
rok lein woh tabahi sey
apne rahnumaao ko
Ayenge jab hum, toh
mach jayega kahar
woh raat andheri hogi
dekhegi na phir sahar.
beautiful poem Rajni.. full of intent.. have become relevant again..
ReplyDeleteवो रात अँधेरी होगी
देखेगी न फिर सहर
lovely conclusion.. keep writing..
Thankyou so much Deepak----thanks for appreciating ---glad you liked .
Deleteregards
rajni
...bahut sundar likha hai, Rajni!
ReplyDeleteDhanyawad Amit ji
Deleteaapko kavita pasand ayee shukriya
regards
rajni
very nicely written Rajni, hope we strongly put this message across!
ReplyDeleteThanks Meenakshi
ReplyDeletealways great to see you on my blogs
Very well said Rajni.
ReplyDeleteLove n hugs to YOU !
Thankyou so much Indu ji
Deleteyou are one of those whose comments I eagerly wait for--thanks a lot for the visit and the feedback --please do visit my Saudagar ---the roadside vendor --I would love to have your feedback on the same
warm regards
rajni
You have so much heart, beautiful expression :D
ReplyDeleteGhazala
Deletewhat a pleasure to see you on my posts ---and your comments are so encouraging --thankyou so much swh love seeing you on my space
hugs
rajni
That's a powerful piece, Rajni!! Wonderful attempt....deep insight into human emotions. Kudos...
ReplyDeleteThanks alot Panchali
Deleteyou do always understand my poetry so well---seeing you after along time
thanks alot for the appreciation
Hi Rajni:
ReplyDeleteA morning gift to a well deserving person: Liebster Award
Thankyou so much Meenakshi and do
Deletevisit my
http://rajni-rajnigaqndha.blogspot.in/2013/01/my-first-award.html
Heart touching. Pata nahin unke paas dil hai bhi ya nahi. Marte toh insan hi hai .
ReplyDeleteNa wo hindu hote hai na wo musalman nahi bhartiya na pakistani, bas marne waale sb insan hote hai.
Thanks Vishal
Deletebahut hi sateek baat kahi apne ---lekin ye woh nahi samajhte
comments ka baht bahut shukriya
welcome to my blogs
U nailed it man!!
ReplyDeleteThanks Soumya
Deletebut we need someone to nail them
thanks for the visit
welcome to my blogs