नारी
कोई वस्तु नहीं
कोई अजूबा नहीं
कोई पहेली नहीं
इंसान है
मनुष्य है
रगो मे खून है
दिल मे धड्कन
धड्कन मे सांस
और साँसों मे आस
इश्वर अर्धनारीश्वर है
पिता पति बेटा और भाई
माता पत्नी बेटी और बहन
ये रिश्ते है
श्रीष्टि के लिए अनिवार्य
क्या इन्के बिना चल सक्ता है ये संसार ?
कोई भी रिश्ता अपने आप मे सम्पूर्ण नही
कोई भी व्यक्ति अपने आप मे पूर्ण नही
जब रचैता हि अर्ध्नारिश्वर है
तो रचना कैसे एकाकी हो ?
पुरुष और नारी एक दूसरे के पूरक है
विश्व रूपी श्रीष्टि के
रक्षक और पालक है
पुरुष बलवान और नारी सुकोमल
एक कडी धूप दूजा छाया शीतल
फिर क्यू पुरुष
अपने बाहु बल के अहंकार मे मदमस्त होकर
नारी को अबला करार देता है
अपनी मतलबी सहुलियत के लिए
कभी पूजनीय
कभी तिरिस्क्रित खिताब देता है ?
स्त्री को न तो पूजा चाहिए
और न चाहिए उसे तिरस्कार
न तो वो पुरुष से हीन है
न है वो श्रेष्ठ
वो सक्षम है
अपनी रक्षा के लिए
रक्षक बने भक्षक
कि नही उसे दरकार
सदियो से चली आई
कुछ परमपराओ को
वक्त के साथ् बदलना होगा
नारी तू खुद के लिए हथियार उठा
तुझे इस राह पे चल्ना होगा
नही देता कोई दुसरा सहारा कभी
तुझ्को अपनी तकदीर से लड़ना होगा
Beautiful-very nicely put!
ReplyDeleteI think it is because women are trying to break free from their shackles,that atrocities are wreaked upon them.Is the 'stronger sex' fearful?Here i refer to only those who will do anything to safeguard their supremacy.
Indu ji
ReplyDeleteyou have said it ---The stronger sex "is" scared ---and that is again the reason why MORAL policing too is raising its head .Of course we are not generalizing the fact BUT that is the bitter truth ----The only way in which "FAST" change can be brought is by us women at home by teaching proper values and by not discriminating against daughters and sons---other wise no Law or rule can be fast or strong enough to bring about positive results --change in attitude is the only panacea
thankyou so much ---- here's wishing you and all our countrymen and women A Happy more sensible and mature New Year
warm regards
rajni
Very well said and very well written, Rajni!
ReplyDeleteI completely support you!
thankyou Amit Ji
Deleteand All Good Wishes for a Happy New Year
that's the only way girls/women can survive with dignity. they need to fight for themselves. don't count on those who are shedding crocodile tears.
ReplyDeleteDebajyoti
DeleteThankyou --and yes they are crocodile tears
here's Wishing You A Happy New Year
with you rajni sweet heart. you write so well!
ReplyDeleteThanks a lot Ghazala
Deletewarm regards
and
all good wishes
अत्यंत भावप्रबल कविता लिखी है आपने रजनी जी. सच में लोग सोच नहीं पाते है की अपने आप में न ही पुरुष या महिला पूर्ण होते हैं. फिर भी महिलाओं को कितनी मुश्किलें झेलनी होती है आगे बढ़ने के लिए.
ReplyDeleteपुरुष और नारी एक दूसरे के पूरक है
विश्व रूपी श्रीष्टि के
रक्षक और पालक है
पुरुष बलवान और नारी सुकोमल
एक कडी धूप दूजा छाया शीतल
बहुत अच्छी पंक्तियाँ है यह.
दुःख यही है की अपना समाज आज भी (खासकर ग्राम्य जीवन) औरतों को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं देता. वरना जहां भी वो बंद दरवाजों से निकली है, अपनी पहचान बनाई है.
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