Saturday, 29 December 2012

Naari----no woman no cry


नारी
कोई वस्तु नहीं
कोई अजूबा  नहीं
कोई पहेली नहीं
इंसान है
मनुष्य है
रगो मे खून है
दिल मे धड्कन
धड्कन मे सांस
और साँसों मे आस
इश्वर अर्धनारीश्वर है
पिता पति बेटा और भाई
माता पत्नी बेटी  और  बहन
ये रिश्ते है
श्रीष्टि के लिए अनिवार्य
क्या इन्के बिना चल सक्ता है ये संसार ?
कोई भी रिश्ता अपने आप मे सम्पूर्ण नही
कोई भी व्यक्ति अपने आप मे  पूर्ण नही
जब रचैता हि अर्ध्नारिश्वर है
तो रचना कैसे एकाकी हो ?
पुरुष और नारी एक दूसरे के पूरक है
विश्व रूपी श्रीष्टि के
रक्षक  और पालक है
पुरुष बलवान और नारी सुकोमल
एक कडी धूप  दूजा छाया शीतल
फिर क्यू पुरुष 
अपने बाहु बल के अहंकार मे मदमस्त होकर 
नारी को अबला करार देता है
अपनी मतलबी सहुलियत के लिए
कभी पूजनीय
कभी तिरिस्क्रित खिताब देता है ?
स्त्री को न तो पूजा चाहिए
और न चाहिए उसे तिरस्कार
न तो वो पुरुष से हीन है
न है वो श्रेष्ठ
वो सक्षम है
अपनी रक्षा के लिए
रक्षक बने भक्षक
कि नही उसे दरकार
सदियो से चली आई
कुछ परमपराओ को
वक्त के साथ् बदलना होगा
नारी तू खुद के लिए हथियार  उठा
तुझे इस राह पे चल्ना होगा
नही देता कोई दुसरा सहारा कभी
तुझ्को अपनी तकदीर से लड़ना होगा






9 comments:

  1. Beautiful-very nicely put!
    I think it is because women are trying to break free from their shackles,that atrocities are wreaked upon them.Is the 'stronger sex' fearful?Here i refer to only those who will do anything to safeguard their supremacy.

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  2. Indu ji
    you have said it ---The stronger sex "is" scared ---and that is again the reason why MORAL policing too is raising its head .Of course we are not generalizing the fact BUT that is the bitter truth ----The only way in which "FAST" change can be brought is by us women at home by teaching proper values and by not discriminating against daughters and sons---other wise no Law or rule can be fast or strong enough to bring about positive results --change in attitude is the only panacea

    thankyou so much ---- here's wishing you and all our countrymen and women A Happy more sensible and mature New Year
    warm regards
    rajni

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  3. Very well said and very well written, Rajni!
    I completely support you!

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    1. thankyou Amit Ji

      and All Good Wishes for a Happy New Year

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  4. that's the only way girls/women can survive with dignity. they need to fight for themselves. don't count on those who are shedding crocodile tears.

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    1. Debajyoti

      Thankyou --and yes they are crocodile tears

      here's Wishing You A Happy New Year

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  5. with you rajni sweet heart. you write so well!

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    1. Thanks a lot Ghazala
      warm regards
      and
      all good wishes


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  6. अत्यंत भावप्रबल कविता लिखी है आपने रजनी जी. सच में लोग सोच नहीं पाते है की अपने आप में न ही पुरुष या महिला पूर्ण होते हैं. फिर भी महिलाओं को कितनी मुश्किलें झेलनी होती है आगे बढ़ने के लिए.

    पुरुष और नारी एक दूसरे के पूरक है
    विश्व रूपी श्रीष्टि के
    रक्षक और पालक है
    पुरुष बलवान और नारी सुकोमल
    एक कडी धूप दूजा छाया शीतल

    बहुत अच्छी पंक्तियाँ है यह.

    दुःख यही है की अपना समाज आज भी (खासकर ग्राम्य जीवन) औरतों को आगे बढ़ने का मौका ही नहीं देता. वरना जहां भी वो बंद दरवाजों से निकली है, अपनी पहचान बनाई है.


    एक छोटा सा आग्रह की टिप्पणियों से वर्डवेरिफिकेशन हटा लें. फिर टिपण्णी करना और आसन हो जाएगा.

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