क्यों लोग कश्ती को बनाते है जीवन का प्रतीक ?
शायद इसलिए क्योकि
संसार रुपी इस अथाह सागर में
मनुष्य इक अदना सा लाचार प्राणी है .
जो ये समझता है ,
जिसे ये मालूम है
की वो निरीह, विवश और अज्ञानी है .
उसे इस बात की है पूरी खबर
उसे इस बात की है पूरी खबर
जैसे जैसे सागर में उठती है लहरे
वैसे वैसे हिचकोले
खाती है कश्ती
कभी शांत
कभी नटखट
कभी भीषण और वीभत्स.
उसके जीवन की डोर
है
कैसी विवश .
लेकिन फिर भी
हर आदमी
देखता है सपने.
पूरा करने उन्हें
हौसले भी है रखता .
शायद यही है वो जज्बा
जिससे हमें गया है नवाज़ा .
यही है वो ताकत
जो हमें
थमा देती है पतवार .
और हम बन जाते है
अपनी कश्ती के खेवनहार .
पर हर पल,
हर क्षण ,
आशंकाओ से है घिरे रहते .
आदम को दिए
श्राप के बोझ को
रहते है सहते .
यही है जीवन के सफ़र के कहानी
कभी कश्ती डोले ,
कभी डूब जाये
कभी शांत समुंदर में
झूम के लहराये
excellent pice of writing..
ReplyDeletevery creative.
enjoyed it..