कुछ ख्याल यू ही से
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कोई पार नदी के गाता
मनभाता मन को लुभाता
मन हो जाता विरही
जब प्रणय बोल सुनाता
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खामोश लबो पे मुस्कराहट की है सौगात फिर भी
आंसुओ से भरी निगाहों को नहीं आता है यकीन आज अभी
टूट ती साँसों को शकोशुबहा है इसलिए खुद पर इतना
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर कभी कहीं
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तेरे आंसुओ का मिलन मेरे अश्को से
जैसे संगम हो प्रयाग का
धुल गए सब शिकवे गिले
पावन गंगा और यमुना में
लालिमा है छा सी गयी
क्षितिज पर देखो दूर कही
ये हो गया क्या प्रकृति को
मिलन देख तेरा मेरा
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"है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए"
विश्व के प्रागण में उजाला बिखरना चाहिएघृणा और नफरत की आंधियो को रोकने के लिए
फिर से गाँधी को एक अवतार लेना चाहिए
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बड़े यत्न किये ,कई प्रयत्न किये
तेरी बाँहों में सिमटने के कई जतन किये
कभी लुभाया ,कभी बुलाया इठलाया इतराया भी कभी
पर मुस्कुरा के तूने झुटलाया सब कुछ
अब तो तेरी यादों को सहेजने के हो रहे है बस जतन प्रिये
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होठ खामोश है
लबो ने चुप्पी ओढ़ी है
सन्नाटा सा है चारो ओर
क्यों खामोश है सब
क्या किसी शहीद की दुल्हन ने चूड़ी तोड़ी है ?
लिखना चाह रही थी मैं बहुत कुछ
लेकिन कलम ने साथ न दिया
खामोश घरो ने
दहकते सरहदों की आवाज़ जो सुन ली है
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गुज़ारिश
विनती और प्रार्थना
प्यार में है जगह इनकी न कोई
वो प्यार नहीं है जहां झुकी हो नजरे एक की
और इठला रहा हो दूजा कोई
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ऋतू वर्षा की लौट गयी अब
सूर्य को नहीं ढक रहे बादल
सूर्य किरन के पड़ते ही अब
पुष्प निखार रहे है उपवन
सवेरा , पक्षियों की किल्लोल से।
भ्रमर करे गुंजित दोपहरिया।
संध्या रानी से मिलने को आतुर देखो चाँद मनचला
करे मिन्नते सूरज से वह लौटा दो तुम मेरी सजनिया।---
कई पाखो के बाद मिलन है,
विदा कर दो लेने है आये
उसको उसके प्यारे सजनवा। ___---signifying the fact that dusk sets in early in winters \ letting the moon meet night sooner than in summers
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सावन में पड़ गए झूले
वर्षा की बूंदे रस बरसाए
राह तकते है तेरे प्यासे नयन मेरे
झूले की पींगे रुकी है तेरे इंतज़ार में
अब तो आ जाओ की
मौसम ने इज़ाज़त दी है
बेरुखी तेरी न बदल दे
बागो को बियाबान में
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गुज़ारिश
विनती और प्रार्थना
प्यार में है जगह इनकी न कोई
वो प्यार नहीं है जहां झुकी हो नजरे एक की
और इठला रहा हो दूजा कोई
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ऋतू वर्षा की लौट गयी अब
सूर्य को नहीं ढक रहे बादल
सूर्य किरन के पड़ते ही अब
पुष्प निखार रहे है उपवन
सवेरा , पक्षियों की किल्लोल से।
भ्रमर करे गुंजित दोपहरिया।
संध्या रानी से मिलने को आतुर देखो चाँद मनचला
करे मिन्नते सूरज से वह लौटा दो तुम मेरी सजनिया।---
कई पाखो के बाद मिलन है,
विदा कर दो लेने है आये
उसको उसके प्यारे सजनवा। ___---signifying the fact that dusk sets in early in winters \ letting the moon meet night sooner than in summers
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सावन में पड़ गए झूले
वर्षा की बूंदे रस बरसाए
राह तकते है तेरे प्यासे नयन मेरे
झूले की पींगे रुकी है तेरे इंतज़ार में
अब तो आ जाओ की
मौसम ने इज़ाज़त दी है
बेरुखी तेरी न बदल दे
बागो को बियाबान में
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bahut sundar!
ReplyDeletebahut bahut dhanyawad Amit ji ----I don't know if they are good but had penned them so thought of posting them and gathering opinions from poets of the likes of you ---if they are really good then I feel humbled ---thanks alot
DeleteNice Poem
ReplyDeleteThanks AchchiAdvice
Deletewelcome to my blogs :)