Friday, 13 January 2017

Two poems with positive thoughts to welcome the New Year

Two poems with positive thoughts  to welcome the New Year 

चलने को मन आतुर 
उड़ने को बेचैन 
कट गए  पर उसके 
आँखे रो रो करती बैन 

चारो दिशा   घनघोर अँधेरा 
उजियारा कही न क्षीण 
एक झलक सूरज की 
पाने मन हो रहा  अधीर 

कैसे कैसे क्षण  जीवन में 
कब और कहाँ से आते 
मान इसे किस्मत का लेखा 
सब मन को बहलाते 

कहते है इसको ही जीवन 
यही भाग्य का लेखा 
लेकिन जो झकझोर ले इसको
बन  जाये   विश्व विजेता


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कुहरे ने सोचा एक सुबह
चलूँ  धरती की ओर
राहो पर छा जाऊं  ऐसे
न ओर दिखे न छोर।

पर उसको मालूम नहीं था
धरती पर , मनुष्य है करता  वास
चीर बादलो को वो लेता
कुहरे की क्या बिसात।


घने कोहरे को बेध सकती
एक दिए की लौ
सेतु  गंतव्य तक पहुचा  देता
  गर राह पकड़ लो तो।


रजनी सिन्हा (c) जनवरी  २०१७

5 comments:

  1. आपकी हिंदी कवितायेँ मनमोहक हैं. लिखते रहिएगा!

    (There is a typo in बादलों in the second poem.)

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद् उमाशंकर जी ---वो typo मैंने भी देखा था पर जल्दबाज़ी में सुधार नहीं पायी अभी ठीक किये देती हूँ --- याद दिलानेका शुक्रिया वरना ऐसे ही रह जाता गलतियों के साथ ---thanks once again

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  2. Replies

    1. बहुत बहुत धन्यवाद् अमित जी रचना आपको पसन् आयी इस के लिए बहुत शुक्रिया

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  3. आशा और विश्वास की लो जगाती रचनाएँ हैं ...

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